यदि आपको डिवोर्स क्या है?, डिवोर्स पेपर कैसा होता है, डिवोर्स कैसे ले? (Divorce Kaise Le Sakte Hai) और शादी के कितने दिन बाद तलाक ले सकते है? जानकारी जानकारी चाहिए तो इस लेख को पढ़े।
शादी एक तरह से रिश्तों को जोड़ने के लिए एक जरुरी कार्य माना जाता है जो ना केवल धार्मिक तौर पर बल्कि कानूनी तौर पर भी अपना एक महत्व रखता है।
कोई भी व्यक्ति शादी करता है तो वह यह उम्मीद रखता है कि उसका लाइफ पार्टनर उसे खुश रखेगा लेकिन हर बार ऐसा नही हो पाता और सब कुछ सही होने की जगह सब कुछ बिगड़ता जाता है और ऐसे मामले में लोग डिवोर्स लेने का फैसला लेते है।
जिससे कि वह स्वतंत्र होकर अपना जीवन बिता सके। काफी सारे जोड़े है जो डिवोर्स लेना चाहते है लेकिन उन्हें डिवोर्स लेने की प्रक्रिया (Divorce Process In Hindi) के बारे में पर्याप्त जानकारी नही है। अगर आप भी जानना चाहते है कि ‘डिवोर्स कैसे ले सकते है’ (Divorce Kaise Le Sakte Hai) तो यह लेख पूरा पढ़े क्योंकि इस लेख में हम आपको डिवोर्स प्रक्रिया की पूरी जानकारी आसान भाषा मे देंगे।
Disclaimer: “हमारी moneyinnovate.com वेबसाइट की टीम डिवोर्स लेने की सल्लाह नहीं देते है क्योंकि हर घर में पति-पत्नी के बीच मनमुटाव होती रहती है इसलिए एक दुसरे से बात करके समस्या का हल किया जा सकता है।” यदि फिर भी Divorce Process In India In Hindi जानना चाहते है तो इसे पढ़ सकते है।
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डिवोर्स क्या होता है – What Is Divorce In Hindi?
डिवोर्स लेने की प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी और आपको पता चलेगा कि आखिर ‘डिवोर्स कैसे ले सकते है’ (Divorce Kaise Le Sakte Hai) लेकिन इसके लिए पहले आपका यह समझना जरूरी है कि आखिर डिवोर्स होता क्या है?
तो जानकारी के लिए बता दे कि डिवोर्स को सामान्य भाषा मे तलाक कहा जाता है और यह कानूनी तौर पर हुई आधिकारिक शादी को तोड़ने का एक तरीका है।
किसी भी हिन्दू व्यक्ति को दूसरी शादी करने के लिए पहले अपनी पहली शादी को तोड़ने की जरूरत होती है। पहले हिन्दू सभ्यता में तलाक की कोई प्रक्रिया उपलब्ध नही थी लेकिन अंग्रेजो के द्वारा हिन्दू मैरिज एक्ट में तलाक लेने का सिस्टम भी जोड़ा गया था जिससे कि शादी को लीगली तोड़ना सम्भव हो।
अगर सामान्य भाषा मे और कम शब्दों में तलाक या डिवोर्स को समझा जाये तो यह कहा जा सकता है कि ‘कानूनी तरीको से शादी को तोड़ने या फिर खत्म करने की प्रक्रिया को तलाक कहा जाता है’।
कोई भी हिन्दू व्यक्ति अगर अपनी शादी को कानूनी तरीके से तोड़ना चाहता है ये फिर दूसरी शादी करना चाहता है तो इसके लिए तलाक जरूरी होता है। तलाक मुख्य रूप से दो तरीके का होता है, एक जिसमे आपसी सहमति होती है।
वह Mutual Divorce कहलाता है और एक जिसमे एक तरफ तलाक के लिए अर्जी डाली जाती है, उसे Contested Divorce कहा जाता है। भारत मे निर्धारित नियमो के अनुसार तलाक लेने की प्रक्रिया कुछ महीनों से लेकर कुछ साल तक कि हो सकती है।
तलाक कितने प्रकार के होते हैं – Types Of Divorce In Hindi
काफी सारे लोग जो तलाक के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं लगते वह जानना चाहते हैं कि आखिर तलाक कितने प्रकार के होते हैं जिससे कि वह तलाक को सटीक रूप से समझ सके।
अगर आप तलाक या डिवोर्स के बारे में जानने में रुचि रखते हो और जानना चाहते हैं कि ‘डिवोर्स कैसे ले सकते है’ (Divorce Kaise Le Sakte Hai) तो इसके लिए पहले आपका यह जानना जरूरी है कि आखिर तलाक कितने प्रकार के होते हैं?
तो जानकारी के लिए बता देगी तलाक वैसे तो कई तरह के हो सकते हैं लेकिन मुख्य रूप से तलाक या फिर कहा जाए तो डिवोर्स को दो प्रकार में बांटा गया है। अगर आप नहीं जानते कि तलाक के मुख्य दो प्रकार कौन से हैं तो बता दे कि तलाक के मुख्य दो प्रकार कुछ इस तरह है:
एक तरफा तलाक (Contested Divorce):
कई बार ऐसा होता है कि शादीशुदा जोड़े में से कोई एक व्यक्ति और शादी को तोड़ना चाहता है या फिर वह अपनी शादी खत्म करना चाहता है तो ऐसे में वह व्यक्ति तलाक लेने के लिए अर्जी डालता है और उसके बाद पूरी कार्यवाही के बाद तलाक दिया जाता है या फिर कहा जाए तो तलाक पर फैसला किया जाता है।
लेकिन क्योंकि यहां शुरुआत केवल एक ही व्यक्ति के द्वारा होती है अर्थात एक ही व्यक्ति तलाक करना चाहता है तो ऐसे में इस तरह के तलाक को एकतरफा तलाक कहा जाता है। एकतरफा तलाक को अंग्रेजी में Contested Divorce कहते है।
पारस्परिक तलाक (Mutual Divorce):
वर्तमान समय में दुनिया में सबसे अधिक लिए जाने वाले तलाक पारस्परिक तलाक होते हैं जो सफल रूप से लिए जा सकते हैं।
कई बार ऐसा होता है जब शादीशुदा जोड़ा अपनी शादी में खुश नहीं रह पाता जिसके कई कारण हो सकते हैं तो ऐसे में शादीशुदा जोड़े के दोनों ही लोग आपसी सहमति से तलाक लेने का फैसला लेते हैं और इस तरह के तलाक को पारस्परिक तलाक कहा जाता है।
जिसे अंग्रेजी में Mutual Divorce कहा जाता है। इस तरह के तलाक में न्यायालय के द्वारा एक बार रिश्ते सुधारने का मौका दिया जाता है लेकिन फिर भी अगर कुछ नहीं होता तो तलाक दे दिया जाता है।
एक तरफा तलाक कैसे ले सकते है – Contested Divorce Kaise Le Sakte Hai?
जैसा कि हमने आपको बताया कि तलाक दो तरीके के होते हैं और उनमें से एक तलाक एकतरफा तलाक होता है जिसे सामान्य भाषा में यदि देखा जाए तो अंग्रेजी में Contested Divorce भी कहा जाता है।
ऐसे में अगर आप जानना चाहते हैं कि आखिर एकतरफा तलाक कैसे ले सकते हैं (Contested Divorce Kaise Le Sakte Hai) तो जानकारी के लिए बता देगी एकतरफा तलाक कुछ विशेष स्थितियों में ही लिया जा सकता है, जो कुछ इस प्रकार है:
- अगर जोड़े में से कोई शादी के बाद किसी अन्य व्यक्ति के साथ स्वेछिक सम्भोग करता है।
- अगर जोड़े में से कोई दूसरे के सतह क्रूरता बरतता है।
- दोनों में से कोई एक पिछले दो साल से साथ में नहीं रह रहा हो या नहीं रहना चाहता हो।
- दोनों में से किसी एक द्वारा धर्मांतरण कर लिया गया हो।
- दोनों में से कोई एक पागल हो किसी ऐसी बीमारी से ग्रसित हो जो ठीक नहीं हो सकती हो, या फिर कोई ऐसी बीमारी हो की याचिकाकर्ता उसके साथ जीवन व्यतीत करने की उम्मीद नहीं कर सकता हो।
- दोनों में से कोई एक किसी विषैले रोग या फिर छुआछूत जैसे रोग का शिकार हो।
- दोनों में से कोई एक किसी संक्रामक रोग से ग्रसित हो।
- दोनों में से कोई एक गृहस्थाश्रम त्याग कर सन्यास लेने जा रहा हो।
- अगर दोनों में से किसी एक के द्वारा 7 वर्ष से अधिक जीवित रहने की जानकारी नहीं हो।
अगर इनमें से कोई स्थिति होती है या फिर कोई ऐसी स्थिति होती है जिसमें याचिकाकर्ता का तलाक लेना बनता हो तो ऐसे में एकतरफा तलाक के लिए कोर्ट में याचिका दायर की जाती है,
और उसके बाद केस चलता है और वाद विवाद होते है। अगर याचिकाकर्ता का पक्ष सही होता है तो उसे तलाक दे दिया जाता है। इसमें एडवोकेट याचिकाकर्ता की मदद करता है।
आपसी सहमति से तलाक कैसे ले सकते हैं – Mutual Divorce Kaise Le Sakte Hai?
कई बार ऐसा होता है जब लोग शादी तो कर लेते हैं लेकिन शादी के बाद उनकी बन नहीं पाती और उनमें लगातार वाद-विवाद चलते रहते हैं तो ऐसे में वह आपसी सहमति से अलग होने का फैसला लेते हैं और इस वजह से आपसी तलाक लेते है।
अगर आप नहीं जानते कि आप से तलाक कैसे लिया जाता है तो जानकारी के लिए बता दें कि आपसे तलाक के लिए जुड़े के दोनों लोग तलाक के लिए अपने हस्ताक्षर करके संयुक्त याचिका न्यायालय में दायर करते हैं।
याचिका में दोनों लोगों का बयान होता है कि वह अब एक दूसरे के साथ नहीं रह सकते तो ऐसे में वह एक दूसरे से अलग होना चाहते हैं, इसमें हस्ताक्षर के साथ दोनों की सहमति होती है। अर्थात यह एक ऐसी याचिका होती है जो दर्शाती है कि दोनों पक्ष अब एक दूसरे के साथ नहीं रह सकते और दोनों आपसी सहमति से तलाक लेना चाहते हैं।
याचिका दायर करने के बाद न्यायालय दोनों पक्षों में सहमति होने या फिर मन बदलने के उद्देश्य से 6 महीने का समय देता है जिससे कि अगर उनका मन बदल जाए तो उन्हें तलाक लेने की जरूरत नहीं पड़े।
अगर 6 महीने में भी दोनों का मन नहीं बदलता और दोनों एक दूसरे से अलग होना चाहते हैं तो ऐसे में 6 महीने के बाद या फिर कहा जाए तो 18 महीने के अंदर अंदर दोनों को दूसरे प्रस्ताव के लिए उपस्थित होना पड़ता है।
दूसरे प्रस्ताव के लिए उपस्थित होने के बाद जब दोनों का मन नहीं बदलता और दोनों एक दूसरे से तलाक लेना चाहते हैं तो उन्हें तलाक दे दिया जाता है।
दोनों आपसी सहमति से या फिर न्यायालय के द्वारा ही बच्चे और संपत्तियों के बंटवारे का भी फैसला करते हैं और इसमें भी एडवोकेट काफी मदद कर सकता है तो काफी सारे लोग एडवोकेट की मदद से भी आसानी से तलाक लेते हैं।
निष्कर्ष: Divorce Kaise Liya Jata Hai – डाइवोर्स पेपर फॉर्मेट इन हिंदी
काफी सारे लोग जो तलाक के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं रखते और तलाक के बारे में जानना चाहते हैं उनके दिमाग में अक्सर यह सवाल देता है कि आखिर तलाक लेने की प्रक्रिया क्या है या फिर डिवोर्स कैसे ले सकते हैं।
(Divorce Kaise Le Sakte Hai) और यही कारण है कि हम ने तैयार किया है जिसमें हमने तलाक के बारे में पर्याप्त जानकारी देते हुए बताया है कि आखिर तलाक कैसे लिया जाता है या फिर लोग तलाक कैसे लेते हैं।
इसलिए हमने केवल हिंदू तलाक के बारे में बात की है। उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए फायदेमंद और ज्ञानवर्धक साबित रहा होगा और आपको इस लेख में तलाक से जुड़ी हुई वह जानकारी मिल गई होगी आप प्राप्त करना चाहते होंगे।